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गुरुवार, अप्रैल 20, 2017

भृंगराज (False daisy) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण

भृंगराज (False daisy) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण

भृंगराज कायाकल्प करने में सक्षम है : भृंगराज के बारे में आपने hair आयल की advertisement में बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है की भृंगराज के और भी औषधीय गुण हैं। जो आज तक आयुर्वेद के पन्नो में ही छिप कर रह गए हैं। अकेले भृंगराज में ही कायाकल्प करने का गुण है। जहाँ तक हम इसके गुणों से परिचित हैं, आप कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज़ भी कर सकते हैं।

भृंगराज के पौधे वर्षा के मौसम में खेतों के किनारे, रेल लाइन के किनारे, खाली पड़ी जमीन पर, बाग़ बगीचों में खुद ही उग जाते हैं। ये हमेशा हरे रहते हैं। इनके फूल पत्ते तने जड़ सब उपयोगी हैं। इनकी झाड़ियाँ ज्यादा से ज्यादा आधा मीटर तक उंची मिलेंगी।

इस पौधे में बीटा-एमिरीन, विडेलोलेक्टोंन, ग्लूकोसैड्स-फायटोस्टीराल-ए, ल्यूतियोलिन, फैटिक एसिड, पामीटिक एसिड, ट्रायतर्पेनीक एसिड, स्टीयरिक एसिड, लिनोलिक एसिड और आलिक एसिड, एकलिप्तींन, एम्पलिप्तींन एल्केलायद, निकोटीन और राल जैसे तत्व मौजूद हैं।

भृंगराजमें शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता पाई जाती है। भृंगराजमें बढती उम्र के असर रोकने के भी गुण पाए जाते है।

बालों की उचित देखभाल के लिए भृंगराजएक सर्वोत्तम प्रकार की औषधि है। भृंगराज के नियमित इस्तेमाल से बालों का झडना कम होता है तथा बालों को एक प्रकार की मजबूती प्रदान होती है, जिसकी वजह से आपके बाल लंबे तथा घने होने लगते हैं। भृंगराज के इसी गुण के कारण विभिन्न प्रकार के बालों के सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में भृंगराज का इस्तेमाल बडे पैमाने पर किया जाता है।

भृंगराज के औषधीय गुण :
  • 1. बालों को मजबूती : कई लोगों को पित्त दोष होने के कारण उनके बाल झडने लगते हैं तथा उन्हें बालों से संबंधित कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना प़डता है। भृंगराज के तेल का इन समस्याओं को दूर करने में अत्यंत ही लाभदायक माना गया है। यह बालों की लम्बाई बढ़ाने में सहायता करता है। नियमित तौर पर भृंगराज तेल बालों में लगाने से बालों की त्वचा में रक्तप्रवाह बढ़ने लगता है। बालों की जडें सक्रिय होने लगती हैं तथा बाल बढने लगते हैं। भृंगराज का तेल बनाते समय इसमें आँवला, शिकाकाई जैसी अन्य महत्वपूर्ण औषधियाँ भी मिलाई जा सकती हैं। इस तेल में आप तिल अथवा नारियल का तेल भी मिला सकते हैं। यह सब मिलकर आपके बालों को मजबूती प्रदान करके उन्हें स्वस्थ और घना बनाते हैं।
  • 2. गुदाभ्रंश : गुदाभ्रंश हो गया हो तो भृंगराजकी जड़ और हल्दी की चटनी को मलहम की तरह मलद्वार पर लगाए इससे कीड़ी काटने की बीमारी में भी आराम मिलता है .गुदा भ्रंश में मल द्वार थोड़ा बाहर निकल आता है।
  • 3. पेट खराब : पेट बहुत खराब हो तो भृंगराजकी पत्तियों का रस या चूर्ण दस ग्राम लीजिये उसे एक कटोरी दही में मिला कर खा जाएँ ,दिन में दो बार 3 दिनों तक।
  • 4. रूसी की समस्या : भृंगराजके तेल को नियमित रूप से बालों में लगाने से बालों की त्वचा पर किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होता, जिससे रूसी की परेशानी नहीं होती। भृंगराज के तेल को लगाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा बालों का प्राकृतिक रंग बना रहता है।
  • 5. तनाव दूर करता है : शरीर में पित्तदोष पाए जाने के कारण शरीर तथा मन में एक प्रकार का तनाव सदैव बना रहता है। भृंगराजके नियमित उपयोग से पित्तदोष को कम होने में सहायता मिलती है, जिसके कारण मानसिक तथा शारीरिक तनाव भी कम होने लगता है।
  • 6. कमजोर दृष्टी : भृंगराजके पत्तों को छाँव में सुखा लीजिए। तथा पीस लीजिए। उसमें से थोडा चूर्ण लेकर उसमें लगभग 3 ग्राम शहद तथा 3 ग्राम गाय का घी मिलाकर नियमित रूप से प्रतिदिन सोने से पहले रात को चालीस दिन तक इसका सेवन करिए। ऐसा करने से आंखों की कमजोर दृष्टी तेज होने लगती है तथा आंखों से संबंधित सभी समस्याएँ दूर होने लगती है।
  • 7. पीलिया : भृंगराज को लीवर को स्वास्थ बनाये रखने का एक सर्वश्रेष्ठ टॉनिक माना जाता है। पीलिया जैसी बीमारी को ठीक करने में भृंगराज बहुत ही प्रभावशाली है। लगभग 10 ग्राम भृंगराज के पत्ते तथा 2 ग्राम साबुत काली मिर्च को महीने पीस लें। इस पेस्ट को छास में मिलाकर दिन में दो बार लें। पीलिया को दूर करने का यह एक बहुत ही सर्वोत्तम उपाय हैं। भृंगराज में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाने की वजह से यह हमारे शरीर के आंतरिक अंगो को भी मजबूत बनाता है।
  • 8. सफ़ेद दाग : भृंगराज सफ़ेद दाग का भी इलाज करता है मगर काली पत्तियो और काली शाखाओं वाला भृंगराज चाहिए। इसे आग पर सेंक कर रोज खाना होगा ,एक दिन में एक पौधा लगभग चार माह तक लगातार खाए।
  • 9. पेशाब संक्रमण : अधिकतर महिलाओं में पेशाब के संक्रमण की समस्या पाई जाती है। जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है। यदि भृंगराजके पत्तों में थोडा सा पानी डालकर पीस लिया जाये तथा उसे छानकर वह रस दिन में दो बार नियमित रूप से लिया जाए, तो पेशाब के संक्रमण को दूर होने में लाभ होता है।
  • 10. गले तथा फेफडों के संक्रमण : भृंगराजका नियमित सेवन गले तथा फेफडों के संक्रमणों को दूर करने में काफी उपयोगी होता है। भृंगराजके पीले पत्तों का रस तथा तिल के तेल की बराबर मात्रा में लेकर उबालिये तथा इस छानकर लगभग आधे से लेकर एक चम्मच तक इसका सेवन दिन में दो बार (सुबह में तथा रात में) करें। ऐसा करने से गले का तथा फेफडों में होने वाला संक्रमण ठीक होने लगता है।
  • 11. यदि भृंगराजके पत्तों के रस से नियमित रूप से कुल्ला करें तो दाँतों तथा मसूडों को मजबूती प्रदान होती है।
  • 12. पाचन शक्ति : भृंगराज के नियमित सेवन से पाचनशक्ति संयमित बनी रहती है। भृंगराज हमारी बडी आंत में पाए जाने वाले विषैले पदार्थों को निष्कासित करने में हमारी सहायता करता है।
  • 13. कब्ज : यदि प्रतिदिन सुबह में 4 से 5 पत्ते भृंगराज के खाये जाएं तो इससे कब्ज की समस्या ठीक होने लगती है।
  • 14. गर्भस्राव : जिन महिलाओं को गर्भस्राव की बिमारी है उन्हें गर्भाशय को शक्तिशाली बनाने के लिए भृंगराजकी ताजी पत्तियों का 5-6 ग्राम रस रोज पीना चाहिये
  • 15. बाल : त्रिफला के चूर्ण को भृंगराजके रस की 3 बार भावना देकर सुखा कर रोज आधा चम्मच पानी के साथ निगलने से बाल कभी सफ़ेद होते ही नही। इसे किसी जानकार वैद्य से ही तैयार कराइये.
  • 16. तुतलाना : अगर कोई तुतलाता हो तो इसके पौधे के रस में देशी घी मिला कर पका कर दस ग्राम रोज पिलाना चाहिए ,एक माह तक लगातार।
  • 17. कायाकल्प : इसके रस में यकृत की सारी बीमारियाँ ठीक कर देने का गुण मौजूद है, लेकिन जिस दिन इसका ताजा रस दस ग्राम पीजिये उस दिन सिर्फ दूध पीकर रहिये भोजन नहीं करना है, यदि यह काम एक माह तक लगातार कर लिया जाय तो कायाकल्प भी सम्भव है। यह एक कठिन तपस्या है.
  • 18. योनिशूल : बच्चा पैदा होने के बाद महिलाओं को योनिशूल बहुत परेशान करता है, उस दशा में भृंगराज के पौधे की जड़ और बेल के पौधे की जड़ का पाउडर बराबर मात्रा में लीजिये और शहद के साथ खिलाइये, 5 ग्राम पाउडर काफी होगा, दिन में एक बार खाली पेट लेना है 7 दिनों तक.
भृंगराज तेल घर पर बनाने की विधि :-

बालों को स्वस्थ्य बनाए रखने में उपयोगी तेल बनाने के लिए:-
  • 1 लीटर जैतून का तेल,
  • 50 ग्राम आवंला,
  • 100 ग्राम अमरबेल,
  • 50 ग्राम जटामांसी,
  • 50 ग्राम नागरमोथा,
  • 50 ग्राम शिकाकाई और
  • 50 ग्राम भृंगराज
इन में से जैतून के तेल को छोड़कर सभी सामग्रियों को 2 लीटर पानी में उबालें और उबालकर पानी ¼ बचने पर इसमें 1 लीटर जैतून का तेल मिलाकर पकाएं और सारा पानी सूख जाने पर बचे तेल को किसी काँच की बोतल में सुरक्षित रख लें. पुरुष इसे तेल को 2-3 मी.ली की मात्रा में रोज और महिलाएं 10 मी.ली की मात्रा में सप्ताह में 2-3 बार लगाएँ तो इससे बालों का झड़ना असमय पकना कम होता है.

परामर्श समय : 10 AM से 10 PM के बीच। Mob & Whats App No. : 9875066111
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कृपया अपने चिकित्सक के परामर्श के बिना, सुझाई गयी (किसी भी प्रकार की) दवा का सेवन नहीं करें। 
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